
काठमाडौं। ऋण असुली प्रभावित भइरहँदा पनि लघुवित्त वित्तीय संस्थाहरुले नाफा उच्चरुपमा बढाएका छन्। आर्थिक गतिविधि बढ्न नसकेर ऋण असुली सुधार हुन नसकेका बेला लघुवित्तहरुले खुद नाफा ३८.४३ प्रतिशतले बढाएका हुन्।
चालु आर्थिक वर्षको दोस्रो त्रैमासिक वित्तीय विवरण सार्वजनिक गरेका ३१ लघुवित्तमध्ये २२ वटाले नाफा बढाउँदा ६ वटाको खुम्चिएको छ। तीन लघुवित्तको नाफा भने ऋणात्मक छ।
नेरुडे मिर्मिरे, इन्फिनिटी र सामुदायिक लघुवित्तको नाफा ऋणात्मक हुनु पुगेको हो। पोहोर छ महिनामा ७ लघुवित्तको नाफा ऋणात्मक थियो।
३१ लघुवित्तले पुस मसान्तसम्म १ अर्ब ५३ करोड रुपैयाँ खुद नाफा गरेका छन्। पोहोर ६ महिनामा ती लघुवित्तको खुद नाफा १ अर्ब ११ करोड रुपैयाँ थियो।
राष्ट्र बैंकले दिएको कर्जा पुनर्संरचना र उठ्न बाँकी ब्याजलाई आम्दानीमा देखाउन पाउने सुविधाले लघुवित्तहरुको नाफा बढेको हो।
हिमालयन लघुवित्तको नाफा सबैभन्दा धेरै ३९५.६८ प्रतिशतले बढेको छ। पोहोर ६ महिनामा ५२ लाख ५८ हजार खुद नाफा गरेको लघुवित्तले यसपालि २ करोड ६० लाख रुपैयाँ खुद नाफा गरेको छ।
धेरै नाफा गर्नेमा साना किसान लघुवित्त छ। उसले यो वर्ष ६ महिनामा ५१ करोड ७७ लाख रुपैयाँ खुद नाफा आर्जन गरेको छ।
विजय लघुवित्तका सीइओ वसन्त लम्साल राष्ट्र बैंकको सुविधाले लघुवित्तहरुको नाफा बढाउन सहयोग पुगेको बताउँछन्।एनएफआरएस अनुसार रिपोर्ट बनाउँदा उठ्न बाँकी ब्याजलाई वित्तीय विवरणमा देखाउन मिल्ने भएका कारण नाफामा सपोर्ट पुगेको उनको भनाइ छ।
‘कर्जा पुनर्संरचना गर्न पाउने व्यवस्थाले केही सहज भयो। पुरानो ऋणलाई पुनर्संरचना गरेर अहिले प्रोभिजनिङ घटेको अवस्था छ,’ उनले भने, ‘माइक्रोफाइनान्सको बरोइङ कस्ट घटेको छ। असुली भने अझै पनि अपेक्षाजनक सुधार हुन सकेको छैन।’
लघुवित्तहरुको दुई आर्थिक वर्षको ६ महिनाको वित्तीय अवस्था
लघुवित्त | २०८१/८२ नाफा रु. हजारमा | २०८०/८१ नाफा रु. हजारमा | नाफा फरक (प्रतिशतमा) | २०८१/८२ प्रोभिजनिङ रु हजारमा | २०८०/८१ प्रोभिजनिङ रु हजारमा | २०८१/८२ खराब कर्जा (प्रतिशतमा) | २०८०/८१ खराब कर्जा (प्रतिशतमा) |
स्वावलम्बन | ८०७२० | ४१५६३ | ९४.२१ | ३२९८४९ | २९२५०० | ८.२८ | ११.३६ |
इन्फिनिटी | -९४६२२ | १४९८१ | – | १२०१३० | ७१५७ | ९.८५ | ४.९५ |
ग्लोबल | ११८३३९ | ४७८३० | १४७.४२ | २७६३८ | १०५९८८ | ४.१ | ४.२१ |
उन्नति सहकार्य | ६३८३ | २४९३ | १५६.०४ | २९८४२ | ४९१५ | ४.८३ | ५.७४ |
हिमालयन | २६०६३ | ५२५८ | ३९५.६८ | ११७३० | ७८३१ | ५.६२ | ३.५९ |
सामुदायिक | -१०८६८ | -३९९८९ | – | ८९३७१ | ६२५९९ | ४.८९ | १४.६५ |
ग्रामिण विकास | १८४८७१ | १७०२३२ | ८.६ | -१०१४० | -२१७३३४ | ४.१५ | ७.८३ |
धौलागिरी | २०८१ | -४१४८३ | – | ६७१३ | १४४८८ | ५.५ | ४.९३ |
आरम्भ चौतारी | ३२६५४ | १२४१९ | १६२.९४ | -१९७३९ | -१६६८ | २.९१ | ४.६४ |
आत्मनिर्भर | ८४३१ | ११८२२ | -२८.६८ | १६५०८ | ८१८४० | १५.०९ | १५.२८ |
सपोर्ट | १५५०३ | ८६४२ | ७९.३९ | १२१२ | ६५१३ | १.७४ | १.५४ |
फर्स्ट माइक्रोफाइनान्स | ५२३०० | ८४९१४ | -३८.४१ | -८५१३ | – | ४.४४ | २.८७ |
आरएसडीसी | ४४१८२ | ६९३०४ | -३६.२५ | २६०८७ | ४१७४ | २.७१ | १.८२ |
गुराँस | १५४६३ | ७७२८ | १००.०९ | २५९१ | – | २.७८ | ३.७५ |
गणपति | १२३५० | १०७४२ | १४.९७ | -५३३७ | -१९००८ | ४.१३ | ४.६६ |
उपकार | १६,८३६ | -१७,५२९ | – | १४९२३ | १५०९ | ४.१२ | २.८२ |
कालिका | ४२१५५ | १७,९४७ | १३४.८९ | ५१११ | २६१० | ४.६७ | ४.८२ |
समाज | १२ | -१,६७० | – | ९५५१ | ३११७७ | ४.९ | ४.०१ |
जीवन | २०५४४२ | १७७७६० | १५.५७ | ३१०२६२ | २७७९३७ | ४.५६ | २.९५ |
अभियान | ३७८६ | -६२४६८ | – | १७३८९ | १८५८७ | ४.१४ | ६.८८ |
लक्ष्मी | १७,५९१ | २१,५२२ | -१८.२७ | १४५५९ | २५३५२ | ८.४७ | ९.६३ |
सीवाइसी नेपाल | ४३१६२ | २१,०९७ | १०४.५९ | -२५३९६ | ८९५ | ४.३५ | ४.७७ |
मिथिला | ३७४८० | १३,३२४ | १८१.३ | ६५५६ | ९७२२ | ४.८५ | ४.४७ |
एनएमबि | ११८१५ | -६७५६३ | – | -५२७ | -२६३२३ | ५.९६ | ७.८५ |
साना किसान | ५१७७५५ | ४४२४९९ | १७.०१ | -३०५९० | -१००३७१ | २.२७ | २ |
मेरो माइक्रोफाइनान्स | ७९५५३ | ६४३०९ | २३.७ | ७९७२२ | ५०२८६ | ७.७८ | ७.८७ |
युनिक नेपाल | २७४१० | ३३२२६ | -१७.५ | २५२७५ | ३९९७३ | १६ | ९.९२ |
विजय | ७०४५५ | ४३४९७ | ६१.९८ | -११९५१ | ३८०५१ | ८.३५ | ७.९ |
आशा | २३६२४ | -३२८८३ | – | १३०८३७ | १४४६६ | ४.९२ | ४.९३ |
महुली | ८९५९ | २६११३ | -६५.६९ | ५८२५९ | ११८५६ | ४.८९ | ४.६४ |
नेरुडे मिर्मिरे | -६२७०८ | २४८०८ | – | १६२४५३ | ७५७५० | ८.४७ | ८.८३ |
जम्मा | १५३७१७७ | १११०४४५ | ३८.४३ | १४८४३७५ | ८२१४७२ | ५.८४ | ६ |
ऋण असुली सुधार नहुँदा लघुवित्तहरुको प्रोभिजनिङ रकम बढेको छ। पुस मसान्तसम्म लघुवित्तहरुले १ अर्ब ४८ करोड रुपैयाँ प्रोभिजनिङ गरेका छन्। पोहोर ६ महिनामा लघुवित्तको प्रोभिजनिङ ८२ करोड १४ लाख रुपैयाँ थियो।
प्रोभिजनिङ बढ्दा लघुवित्तहरुको खराब कर्जा भने घटेको छ। पोहोर पहिलो ६ महिनामा औसत ६ प्रतिशत रहेको खराब कर्जा अहिले ५.८४ प्रतिशतमा आएको छ।
९ वटा लघुवित्तको खराब कर्जा ५ प्रतिशत माथि छ। दुईवटा लघुवित्तको खराब कर्जा १० प्रतिशत नाघेको छ। सबैभन्दा धेरै खराब कर्जा युनिक नेपाल लघुवित्तको १६ प्रतिशत छ। सबैभन्दा कम खराब कर्जा हुनेमा सपोर्ट लघुवित्त छ। यसको खराब कर्जा १.७४ प्रतिशत छ।
राष्ट्र बैंकले दिएको कर्जा पुनर्संरचनाको सहुलियतले गर्दा खराब घटाउन मद्दत पुगेको एक लघुवित्तका सीइओले बताए।
‘कर्जा पुनर्संरचनाको सुविधाले ब्याज आम्दानी बढाउन मद्दत पुग्नुका साथै खराब कर्जा समेत घटेको हो,’ ती सीइओले बिजमाण्डूसँग भने, ‘असल वर्गमा रहेको कर्जाको उठ्न बाँकी ब्याजलाई आम्दानीमा देखाउन पाएकाले ब्यालेन्स सिट राम्रो देखियो। तर असुलीमा अझै सुधार हुन सकेको छैन।’