काठमाडौं । बैंकहरुको ब्याजदर निरन्तर ओरालो लागेपछि ऋणपत्र (डिबेन्चर)मा लगानीकर्ताहरुको आकर्षण देखिएको छ। उच्च ब्याजदर भएका डिबेन्चरको कारोबार दोस्रो बजारमै ठूलो आकारमा भइरहेको छ।
साधारण बचतभन्दा मुद्दती निक्षेपको ब्याजदर सस्तो भएपछि बैंकिङ प्रणालीको रकम अन्यत्र ‘डाइभर्ट’ भइरहेको हो।
बैंकहरुले ४/५ प्रतिशत मुद्दती निक्षेपमा ब्याज दिइरहेका छन्। ऋणको माग नभएर प्रणालीमा तरलता थुप्रिएका कारण बैंकहरुले ठूलो निक्षेप अस्वीकार गरिरहेका छन्।
बैंकको ब्याजदरभन्दा उच्च प्रतिफल आउने देखेपछि संस्थागत लगानीकर्ताले नै डिबेन्चरमा लगानी गरिरहेको जानकारहरु बताउँछन्। विश्लेषक अनलराज भट्टराई ब्याजदर न्यून विन्दुमा आएका कारण लगानीकर्ताले वैकल्पिक उपकरण खोज्न थालेकाले ऋणपत्रमा लगानी बढेको बताउँछन्
‘अब बजारले आफूलाई चाहिने ब्याजदर पाएन भने उपभोक्ताले आफै विकल्प खोज्छन् भन्ने ऋणपत्र प्रतिको आकर्षणले देखाएको छ। यो भनेको लगानीकर्ताले वैकल्पिक उपकरण खोज्दा डेब्ट मार्केटलाई विश्वास गर्नु हो,’ उनले भने, ‘बैंकमा मुद्दतीको ब्याजदर साधारणभन्दा कम मूल्यमा आएको छ। ब्याजदरभन्दा धेरै प्रतिफल आउने देखेपछि लगानीर्ताले प्रिमियम मूल्यमै पनि डिबेन्चरमा लगानी गर्ने भए। अहिले ब्याजदर न्यून भएका कारण यस्तो भएको हो। ब्याजदर बढेको भए डिस्काउन्टमा जान्थ्यो।’
मागभन्दा धेरै आवेदन पर्न थालेपछि डिबेन्चरमा ‘ओभर सब्स्क्राइब’ हुने गरेको छ। यसअघि आइसीएफी फाइनान्स, एभरेष्ट बैंक, एनआईसी एसिया बैंकको ऋणपत्रमा मागभन्दा धेरै आवेदन परेका कारण अधिकांशले सेयर पाएनन्।
ऋण पत्रको नाम | चुक्ता पुँजी (१० लाखमा) | चैतमा कारोबार कित्ता संख्या | कुल कारोबार रकम (१० लाखमा) | अन्तिम कारोबार मूल्य (रुपैयाँ) | बुधबारको मूल्य (रुपैयाँ) |
१० % एनएमबि डिबेन्चर २०८५ | १६८४.५१ | ९८ | ०.११ | १११४.७१ | ११०७ |
१०% सिटिजन्स बैंक डिबेन्चर २०९० | ३००० | ५४३ | ०.६१ | ११३० | १,१३० |
१०% हिमालयन बैंक डिबेन्चर २०८३ | २५६९.१ | ३९ | ०.०४ | १०६५.३३ | १,०६५.९० |
१०% केबीएल डिबेन्चर २०९० | ५००० | १०७ | ०.१२ | ११४० | १,१४० |
१०% लक्ष्मी बैंक डिबेन्चर २०८६ | २००० | ६१ | ०.०७ | ११०३ | १,१०३ |
१०% नबिल बैंक डिबेन्चर २०८२ | २००० | १२६ | ०.१३ | १०७० | १,०७० |
१०% नेपाल एसबिआई बैंक डिबेन्चर २०८६ | २०३३.८९ | १७०८ | १.९ | ११००.६ | १,१०२.३० |
१०% एनआईसी एसिया डिबेन्चर २०८५/८६ | २४०४.६९ | १२०५ | १.३३ | ११०० | १,१४५ |
१०% एनआईएमबि डिबेन्चर २०९० | ४०४० | ८७ | ०.१ | ११३१ | १,१३१ |
१०% प्रभु बैंक डिबेन्चर २०८४ | २००० | ४४०३१ | ४८.०९ | ११२१ | १,१०० |
१०% प्राइभ डिबेन्चर २०८८ | १७४१.८८ | १०१० | १.१२ | ११२९ | १,१५० |
१०% सानिमा बैंक डिबेन्चर | २००० | १३५ | ०.१५ | १०८५ | १,११५.५५ |
१०.१५% प्राइम डिबेन्चर २०८४ | ३२३ | ०.३४ | १०७२.२ | १,०७२.२० | |
१०.२५% सिटिजन्स बैंक डिबेन्चर २०८६ | २५०० | ६३ | ०.०७ | १११६ | १,११६.१० |
१०.२५% केबीएल डिबेन्चर २०८६ | ३००० | ५४२९ | ६.१२ | १११८ | १,१२९.९५ |
१०.२५% माछापुच्छ्रे बैंक डिबेन्चर २०८५ | ३००० | १८ | ०.०२ | ११७१.१ | १,१५० |
१०.२५% एनबीबीएल डिबेन्चर २०८५ | २००० | ११९ | ०.१३ | १११० | १,११०.०० |
१०.२५% एसबिआई बैंक डिबेन्चर २०८३ | २४०१.४८ | २३८२ | २.५४ | १०९९.९ | १,०९९.९० |
१०.२५% एनआईसी एसिया डिबेन्चर २०८३/८४ | १९४३.७ | ३४५ | ०.३७ | ११०० | १,१०४.९० |
१०.२५% प्रभु बैंक डिबेन्चर २०८६ | १००० | ३२५ | ०.३७ | ११६९ | १,१५० |
१०.२५% सानिमा डिबेन्चर २०८९ | ५००० | ३९६ | ०.४६ | ११८४.४ | १,१८४.४० |
१०.२५% एसबिएल डिबेन्चर २०८३ | २५०० | २८२ | ०.३ | १०७६ | १,०७६ |
१०.२५% सनराइज बैंक डिबेन्चर २०८३ | ३००० | ३०६ | ०.३३ | १०८५ | १,०८५.०० |
१०.३०% स्ट्यान्डर्ड चार्टर्ड बैैंक डिबेन्चर | २४०० | २२६ | ०.२४ | ११०७.१ | १,१०० |
१०.३५% कृषि विकास बैंक डिबेन्चर २०८३ | २५०० | ६६२ | ०.७४ | ११३९.९ | १,१३०.०० |
१०.५ % नेपाल इन्भेष्टमेन्ट डिबेन्चर २०८२ | २००० | २२२४ | २.५१ | ११३९ | १,१२० |
१०.५०% एभरेष्ट बैैंक डिबेन्चर २०८५ | २००० | ३३६४ | ३.९१ | ११६४.३ | १,१६४.०० |
१०.७५% एसबिएल डिबेन्चर २०८९ | ४००० | २३५ | ०.२९ | १२७८.३ | १,२७८.३० |
११% केबीएल डिबेन्चर २०८९ | ३००० | ४७१३६ | ५७.१२ | १२०५ | १,२०२ |
११% एलबीबीएल डिबेन्चर २०८९ | १००० | ५५५ | ०.६७ | १२२२ | १,२०५ |
११% महालक्ष्मी डिबेन्चर २०८९ | १००० | १३०३ | १.५६ | १२२९.१८ | १,२०५ |
११% एनआईसी एसिया डिबेन्चर ०८२/८३ | १८३० | ९३४२ | १०.४९ | ११३० | १,१२७ |
१२ % गुडविल फाइनान्स डिबेन्चर २०८३ | २५० | ८१९ | ०.९९ | १३३६.५ | १,३६३.२० |
१२% आइसीएफसी फाइनान्स डिबेन्चर २०८३ | २०० | ३४१३ | ४.१५ | १२८० | १,२५० |
८.५% बीओके डिबेन्चर २०८६ | १६०० | ३९४ | ०.४१ | १०४१ | १,०५२.१० |
८.५% लक्ष्मी बैंक डिबेन्चर २०८८ | २००० | २०७ | ०.२१ | १०५३.९ | १,०३१ |
८.५% माछापुच्छ्रे डिबेन्चर २०८७ | २२५३.५ | १६१ | ०.१७ | १०२७.१ | १,०४६.०० |
८.५% नेपाल बैंक डिबेन्चर २०८७ | ३५०० | १९२८ | १.९६ | १०४७.०८ | १,०५६.३० |
८.५% नेपाल इन्भेष्टमेन्ट बैंक डिबेन्चर २०८४ | ४००० | ४०३ | ०.४२ | १०४५.५ | १,०३६.०० |
८.५% प्रभु बैंक डिबेन्चर २०८७ | २६५० | ४०० | ०.४१ | १०५० | १,०५१ |
८.५%आरबीबीएल डिबेन्चर २०८३ | २५०० | ९०० | ०.९३ | १०३६.४ | १,०३६.०० |
८.५% सानिमा डिबेन्चर २०८७ | ३०५२.४ | ३४६ | ०.३६ | १०४६ | १,०६० |
८.५% एसबिएल डिबेन्चर२०८४ | ३००० | ११० | ०.१२ | १०५० | १,०५०.०० |
८.७५ % प्राइम डिबेन्चर २०८५ | २४४७.९६ | २८७ | ०.३ | १०६५ | १,०६१ |
९% आइसीएफसी फाइनान्स डिबेन्चर २०८८ | ३०० | ४२४३ | ४.५ | १०७८.७२ | १,०९०.८७ |
९% कामना सेवा विकास बैंक डिबेन्चर २०८७ | १००० | १०२० | १.१ | १०९०.१५ | १,०९०.१५ |
९% नबिल डिबेन्चर २०८७ | ३००० | २३९ | ०.२५ | १११० | १,११० |
९% नेपाल एसबिआई बैंक ऋणपत्र २०८९ | १४१८.३७ | १२१२ | १.३१ | १११०.५४ | १,११५ |
९.५% मञ्जुश्री फाइनान्स २०८५ | ५०० | २०९२ | २.२६ | १०८९.१९ | १,१०० |
९.५% एनसीसी २०८६ | ३००० | ४९९६५ | ५५.८७ | १०९५ | १,१४१ |
बीओके २०८६ | ११०० | ४५ | ०.०५ | ११३८.४ | १,१२९ |
सेन्चुरी २०८८ | २२०० | ४४७ | ०.५ | ११४३ | १,१७३ |
सिभिल २०८८ | ३००० | ६०१ | ०.६८ | ११५४.६ | १,१३४ |
एभरेष्ट बैंक | ८५६.७८ | २९८२ | ३.०८ | १०५६ | १,०४५ |
एभरेष्ट बैंक इनर्जी बण्ड २०८९ | ७४६.८३ | ५०२ | ०.५१ | १०१२ | १,०१७ |
गरिमा डिबेन्चर २०८५ | १००० | १३०६ | १.३६ | १०६० | १,०६५.९० |
ग्लोबल आइएमई २०८४/८५ | ५००० | ९५८ | १.१४ | ११८५.८ | १,१६८ |
ग्लोबल आइएमई २०८६/८७ | ३००० | ४१२ | ०.४३ | १०६० | १,०७० |
हिमालयन बैंक बण्ड २०८६ | २५०० | ३२८ | ०.३७ | ११४० | १,१४० |
ज्योति विकास बैंक बण्ड २०८७ | १५०० | १०३८ | १.११ | १०७१ | १,०७५ |
मुक्तिनाथ डिबेन्चर २०८४/८५ | १२५० | ६११ | ०.६५ | १०७२.४६ | १,०७२.९० |
नबिल डिबेन्चर २०८५ | २२०७.११ | १०९० | १.१४ | १०१८.१ | १,०२५ |
एनआईसी एसिया ऋणपत्र २०८८ | १५७३.८७ | १८०१ | १.८७ | १०६८ | १,०८०.१० |
निफ्रा ऊर्जा ऋणपत्र ७%-२०८५/८६ | २२८९.८१ | २५१ | ०.२४ | ९७९.१ | ९७८ |
एनएमबि डिबेन्चर १०.७५%-२०८९/९० | ४००० | २९० | ०.३४ | ११६२ | १,१६२ |
एनएमबि डिबेन्चर ८.५०% – २०८७/८८ | २००० | १५० | ०.१६ | १०४६ | १,०४६ |
सांग्रिला डेभलपमेन्ट बैंक २०८७ | ७५० | ३०६५ | ३.२५ | १०९० | १,१०० |
आर्थिक वर्ष २०८१/८२ चैतसम्म २ अर्ब ५३ करोड ९२ लाख रुपैयाँको २३ लाख ३६ हजार कित्ता डिबेन्चर कारोबार भएको छ।
पोहोर ९ महिनाको तुलनामा ७२.८८ प्रतिशतले कारोबार वृद्धि भएको हो। गत आर्थिक वर्षको चैतसम्म १ अर्ब ४७ करोड ४७ लाख रुपैयाँको १४ लाख ८७ हजार कित्ता डिबेन्चर कारोबार भएको थियो।
फागुनको तुलनामा ११५.३५ प्रतिशतले डिबेन्चरको कारोबार बढेको छ। फागुनमा १० करोड ९० लाख रुपैयाँको १ लाख कित्ता सेयर किनबेच भएकामा चैतमा आइपुग्दा २३ करोड ४९ लाख रुपैयाँ बराबरको २ लाख ८ हजार कित्ता किनबेच भएको छ।
वार्षिक १२ प्रतिशत ब्याजदर रहेको गुडविल फाइनान्सको मूल्य सर्वाधिक १३६३ रुपैयाँ छ। दोहोरो अंकको प्रतिफल दिइरहेका र परिपक्व अवधि नजिकिएका ऋणपत्रको उच्च माग बजारमा देखिएको छ।
‘बजारमा लगानी गर्न बैंकहरुसँग पैसा जति पनि छ। ब्याजदर कम छ। इन्स्योरेन्स लगायत ठूला संस्थागत लगनीकर्ताहरुले लगानीको नयाँ उकरण खोजिरहेका छन्,’ एनआइएमबि एस क्यापिटलका डेपुटी सीइओ सचिन्द्र ढुंगानाले भने, ‘त्यसैले मुद्दती निक्षेपभन्दा डिबेन्चरमा बढी पैसा आउने भएपछि त्यसतिर लगानी बढेको हो।’
बैंकहरुसँग फालाफाल तरलता भए पनि ऋणको माग नहुँदा लक्ष्य अनुसार लगानी बढाउन सकेका छैनन। प्रणालीमा तरलता थुप्रिएपछि ब्याजदर लागत घटाउन बैंकहरु नयाँ निक्षेप अस्वीकार गरिरहेका छन् भने निक्षेपको ब्याज थप घटाइरहेका छन्।
साढे तीन वर्षदेखि लगातार ओरालो लागेका कारण अहिले कर्जाकै ब्याजदर एकल अंकमा छ। त्यहीभएर लगानीकर्ताहरुले लगानीको वैकल्पिक उपकरणतिर सिफ्ट हुन खोजेको जानकारहरु बताउँछन्।
‘एफडीको रेट ३/४ प्रतिशतमा आएको छ। त्यहीभएर सुरक्षित क्षेत्रमा लगानी गर्नेहरुले महंगोमै भए पनि डिबेन्चर खरिद गरिरहेका छन्,’ एक ब्रोकरले भने, ‘बैंकहरुले नागरिक लगानी कोष,कर्मचारी सञ्चय कोष, सामाजिक सुरक्षा कोष लगायतका संस्थाहरुको ठूलो आकारको निक्षेप लिन अस्वीकार गरेपछि उनीहरुले फिक्स्ड इन्कम सेक्युरिटिजतिर लगानी सारेका हुन।’